भारत ने किया जलवायु समझौते के समर्थन का संकेत

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ला बुरजे : पेरिस जलवायु शिखर सम्मेलन में धरती के बढ़ते तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लक्ष्य के साथ एक महत्वाकांक्षी अंतिम मसौदा शनिवार को पेश किया गया और साथ ही विकासशील देशों की मदद के लिए वर्ष 2020 से प्रति वर्ष सौ अरब डॉलर की सहायता देने की भी प्रतिबद्धता जताई। भारत ने शिखर बैठक के इन नतीजों को स्वागत करते हुए इन्हें संतुलित और आगे का रास्ता दिखाने वाला बताया।
दो डिग्री सेल्सियस से नीचे का लक्ष्य और अधिक महत्वाकांक्षी 1.5 डिग्री सेल्सियस रखने की बात भारत और चीन जैसे विकासशील देशों की पसंद के अनुरूप नहीं है जो औद्योगिकीकरण के कारण बड़े उत्सर्जक हैं, लेकिन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 31 पन्ने के दस्तावेज का स्वागत किया।
195 देशों के प्रतिनिधियों की तालियों की गूंज के बीच ऐतिहासिक करार का मसौदा फ्रांसीसी विदेश मंत्री लौरेंट फैबियस ने पेश किया और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने वहां उपस्थित प्रतिनिधियों से उसका अनुमोदन करने की अपील की।प्रतिनिधियों को दस्तावेज का अध्ययन करने के लिए तीन घंटे का विराम दिया गया लेकिन वार्ताकार करार को अंतिम रूप देने के लिए परदे के पीछे काम में जुटे हुए थे। ओलांद ने करार पर आगे बढ़ने के लिए भारत को मनाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी बात की।
13 दिन की गहन वार्ताओं के बाद फैबियस ने अंतिम मसौदे को न्यायोचित, ठोस और कानूनी रूप से बाध्यकारी करार दिया। उन्होंने कहा कि इस समझौते का मकसद तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से काफी नीचे सीमित करना और इससे कहीं अधिक महत्वाकांक्षी 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य के लिए प्रयास करना है। इस करार के तहत वर्ष 2020 से प्रतिवर्ष सौ अरब डॉलर (करीब 6,70,000 करोड़ रुपये) का कोष जुटाने की भी बात कही गई है जिसका इस्तेमाल ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए विकासशील विश्व की मदद करना है।